ब्रह्मांड जो आकाश हमे दिखाई देता है वास्तव में वह काला, अनंत अंतरिक्ष है । ब्रह्मांड जिसमे आकाशीय धूल-कण, उल्कापिंड, ग्रह-उपग्रह, तारें, मंदाकिनियाँ आदि शामिल है । इस अनंत अंतरिक्ष मे जो तारें दिखाई देतें हैं, वे ऊर्जा को मुक्त कर रहे होते हैं तथा उनसे प्रकाश का उत्सर्जन हो रहा होता है ,साथ-ही-साथ उन प्रकाश के अपवर्तन के कारण आकाशीय पिंड भी दिखाई देते है। मंदाकिनी यह तारों, धूल-कणों और गैसों का विशाल पुंज होता है । अनुमानत:आकाशगंगा या मंदाकिनी में10का घात11 तारें होते है । हमारा सौरमंडल ऐरावत पथ का एक भाग है, जो सर्पिल संरचना है। निहारिका यह अत्यंत प्रकाशमान आकाशीय पिंड है , जो धूल एवं धूलकणों से मिलकर बना हुआ है। निहारिका को सौरमंडल का जनक माना जाता है । इसके ध्वस्त होने व क्रोड बनने की शुरुआत लगभग 5 से 5.6 अरब वर्षो पहले हुई। ग्रह लगभग 4.6 से 4.56 वर्ष पहले बने। डार्क मैटर क्या समूचे ब्रह्मांड का पदार्थ घनत्व केवल मंदाकिनियों, तारों और ग्रहों आदि के द्रव्यमान से निर्धारित होता है? वैज्ञानिक इसका जवाब नही में देते हैं । उनका मान...
Comments
Post a Comment
plz comment....