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Showing posts from 2019

ब्रह्मांड/मंदाकिनी/निहारिका/डार्क मैटर/डॉप्लर विस्थापन/सुपरनोवा/क्यूपर बेल्ट/Universe / Mandakini / Nebula / Dark Matter / Doppler Displacement / Supernova / Cooper Belt

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ब्रह्मांड जो आकाश हमे दिखाई देता है वास्तव में वह काला, अनंत अंतरिक्ष है । ब्रह्मांड जिसमे आकाशीय धूल-कण, उल्कापिंड, ग्रह-उपग्रह, तारें, मंदाकिनियाँ आदि शामिल है । इस अनंत अंतरिक्ष मे जो तारें दिखाई देतें हैं, वे ऊर्जा को मुक्त कर रहे होते हैं तथा उनसे प्रकाश का उत्सर्जन हो रहा होता है ,साथ-ही-साथ उन प्रकाश के अपवर्तन के कारण आकाशीय पिंड भी दिखाई देते है। मंदाकिनी यह तारों, धूल-कणों और गैसों का विशाल पुंज होता है । अनुमानत:आकाशगंगा या मंदाकिनी में10का घात11 तारें होते है । हमारा सौरमंडल ऐरावत पथ का एक भाग है, जो सर्पिल संरचना है। निहारिका यह अत्यंत प्रकाशमान आकाशीय पिंड है , जो धूल एवं धूलकणों से मिलकर बना हुआ है।  निहारिका को सौरमंडल का जनक माना  जाता है । इसके ध्वस्त होने व क्रोड बनने की शुरुआत लगभग 5 से 5.6 अरब वर्षो पहले हुई।  ग्रह लगभग 4.6 से 4.56 वर्ष पहले बने। डार्क मैटर क्या समूचे ब्रह्मांड का पदार्थ घनत्व केवल मंदाकिनियों, तारों और ग्रहों आदि के द्रव्यमान  से निर्धारित होता है? वैज्ञानिक इसका जवाब नही में देते हैं । उनका मान...

प्लास्टिक/Plastic/Types of Plastics

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प्लास्टिक उच्च अणुभार वाले बहुलक होते है। बहुत से असंतृप्त हाइड्रोकार्बन ; जैसे -एथिलीन, प्रोपिलीन आदि बहुलीकरण की क्रिया के पश्चात जो उच्च बहुलक बनाते हैं, उसे प्लास्टिक कहा जाता है।   प्लास्टिकों के प्रकार ⇉प्लास्टिक दो प्रकार होते हैं- प्राकृतिक प्लास्टिक एवं कृत्रिम प्लास्टिक। प्राकृतिक प्लास्टिक गर्म करने पर मुलायम तथा ठंडा करने पर कठोर हो जाता है। उदाहरण-टेफ्लॉन कृत्रिम प्लास्टिक रासायनिक विधि से तैयार की जाती है। उदाहरण- पॉलिथीन, PVC, टेफ्लॉन, बेकेलाइट आदि। प्लास्टिकों को उनकी ताप सहने की क्षमता के अनुसार दो भागों में बाँटा जा सकता है- तापसुनम्य या थर्मोप्लास्टिक- ये गर्म करने पर पिघल जाती हैं तथा ठंडा करने पर फिर से ठोस अवस्था ग्रहण कर लेती है । इनमें श्रृंखलाओं के मध्य कोई तिर्यक बंध नही होता है । अतः ये दृढ़ नही होते हैं जिन्हें पिघलाकर विभिन्न साँचे में डालकर मनपसंद आकार में ढाल जा सकता है। उदाहरण- पॉलिथीन, पॉलीस्टाईरीन, PVC आदि। तापदृढ़ या थर्मोसेटिंग प्लास्टिक- इस प्रकार की प्लास्टिक गर्म करने पर मुलायम हो जाती है, परंतु ताप बढ़ने पर ठोस, कठोर ...

गॉड पार्टिकल/हिग्स बोसॉन/God particle

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गॉड पार्टिकल परमाणु से भी छोटा अति सूक्ष्म कण है जिसे ब्रह्मांड के निर्माण का मूल कारण माना गया है। इस कण की परिकल्पना सर्वप्रथम 1964 में पीटर हिग्स ने की थी एवं भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस ने भी इससे संबंधित विचार दिया था इसलिये इसे हिग्स बोसॉन भी कहा जाता है। ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए सन 2012 में यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) ने जेनेवा में पृथ्वी की सतह से 100 फ़ीट नीचे और 27 KM लंबी सुरंग में लार्ज हैड्रन कोलाइडर(LHC) नामक महाप्रयोग किया। इसमे 100 से अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया। वस्तुत:वैज्ञानिक 15 अरब वर्ष पहले सम्पन्न ब्रह्मांडीय घटना को प्रयोगशाला में करना चाहते हैं, जिसे विज्ञान की दुनिया मे बिग बैंग के नाम से जाना जाता है ऐसा माना जाता है कि गॉड पार्टिकल के नाम से जाना जाने वाला हिग्स बोसॉन में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य छिपे हैं, क्योंकि हिग्स बोसॉन को बेसिक यूनिट माना जाता है, इसे डार्क मैटर भी कहते हैं। हिग्स बोसॉन कण या ईश्वरीय कण एक काल्पनिक मूल कण है । यह कण भौतिकी के मानक मॉडल द्वारा लाया गया है । इसे द्रव्यमान या भार के लिए ज...

चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse)/Chandragrahan

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जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, तो उसे चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) कहते हैं। चंद्रग्रहण आंशिक या पूर्ण हो सकता है। पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाता है, जबकि आंशिक चंद्रग्रहण की स्थिति में चंद्रमा का एक भाग ही पृथ्वी की छाया के अधीन आता है। पूर्ण चंद्रग्रहण लगभग 1घंटे 40 मिनट का होता है। यह स्थिति तब बनती है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी होती है और तीनों एक ही रेखा में होते हैं। इस स्थिति को सिजगी कहते हैं। यह स्थिति केवल पूर्णिमा को ही बनती है। अत: चंद्रग्रहण पूर्णिमा को ही होता है, किन्तु सभी पूर्णिमा को नही, इसका कारण पृथ्वी के सापेक्ष चंद्रमा का 5° झुकाव है। When the shadow of the earth falls on the moon, then Lunar Eclipse is called. Lunar eclipse may be partial or complete. The complete lunar eclipse occurs when the moon is completely covered by the shadow of the earth, whereas in the case of partial lunar eclipse a part of the moon falls under the shadow of the earth. The complete lunar eclipse is approximately 1 hour ...

सूर्यग्रहण(Solar Eclipse),surya grahan

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जब सूर्य व पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है, तो पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है वहाँ सूर्यग्रहण(Solar Eclipse) होता हैं। सूर्यग्रहण पूर्ण या आंशिक हो सकता है।पूर्ण सूर्यग्रहण में सूर्य का कोरोना भाग दिखाई देता है। यहाँ उल्लेखनीय है कि चन्द्रमा पश्चिम दिशा से सूर्य को ढकना आरम्भ करता है और आकाश में नीला-काला दिखाई देता है। वर्ष में न्यूनतम 2 तथा अधिकतम 5 सूर्यग्रहण हो सकते हैं। अंधकारमय काल अवधि अधिकतम 7 मिनट 40 सेकेंड हो सकती है। औसतन यह अवधि 2.5 मिनट होती है। सूर्यग्रहण को कभी भी नग्न आँखों से नही देखना चाहिए, क्योंकि सूर्यग्रहण के समय कोरोना के विकिरण (पराबैंगनी किरणों) से भी आँखें चले जाने का खतरा रहता है। When the moon approaches between the Sun and the Earth, in the areas of the Earth, where the Moon covers the Sun, there is a Solar Eclipse. The solar eclipse can be full or partial. In the complete solar eclipse, the corona part of the sun appears. It is noteworthy here that the moon starts to cover the sun from the west direction and the sky appears...

देशान्तर रेखा/Longitude/Deshantar Rekha

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उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों को मिलाने वाली काल्पनिक रेखाओं को देशान्तर रेखा (Longitude) कहते हैं। ये रेखाएँ समानांतर नही होती है। ध्रुवों से विषुवत की ओर जाने पर देशान्तरों के बीच की दूरी बढ़ती जाती है तथा विषुवत रेखा पर इनके बीच की दूरी अधिकतम 111.32 Km होती है। Fictional lines that combine the northern and southern poles are called longitude. These lines are not parallel. The distance between the poles increases from the poles to the equator, and the distance between them is the maximum of 111.32 Km on the equator.

अक्षांश रेखा/Latitude/Akshansh rekha

किसी स्थान की भूमध्य रेखा से उत्तर तथा दक्षिण की ओर कोणात्मक दूरी को उस स्थान का अक्षांश कहते हैं। एक ही कोणात्मक दूरी वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा कहत...

श्रम विभाजन और जाति प्रथा/bseb class 10 hindi

Q. जातिप्रथा भारत में बेरोजगारी की एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है? Ans-   जातिप्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है क्योंकि व्यक्ति को ...

श्रम विभाजन और जाति प्रथा/bseb class 10 hindi

Q. जाति भारतीय समाज मे श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नही कही जा सकती? Ans - जाति भारतीय समाज मे श्रमविभाजन का स्वाभाविक रूप नही ले सकती क्योंकि जातिगत श्रमविभाजन श्रमिकों ...

श्रम विभाजन और जाति प्रथा/bseb class 10 hindi

Q.  जातिवाद के पक्ष में दिये गए तर्कों पर लेखक की प्रमुख आपत्तियां क्या है? Ans- जातिप्रथा ने श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन का रूप भी ले लिया है। किसी भी सभ्य समाज मे श्रम व...

श्रम विभाजन और जाति प्रथा

Q. जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं? Ans - आधुनिक जातिवाद के पोषक इस पक्ष यह तर्क देते हैं कि आधुनिक सभ्य समाज मे कार्यकुशलता के लिए श्रमविभाजन आवश्यक है तथा वे यह ...

श्रम विभाजन और जाति प्रथा

Q. लेखक किस विडंबना की बात करते हैं? विडंबना का स्वरूप क्या है? Ans- लेखक भीमराव अंबेडकर श्रम विभाजन और जाति प्रथा की विडम्बना की बात करते हैं। विडम्बना का स्वरूप अत्यंत व्यापक व...

ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान/PSLV/Polar launch vehicle system

आज भारत ने ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान ( PSLV ) के द्वारा सुदूर संवेदन उपग्रहों के प्रमोचन में विशिष्टता हासिल कर ली है। अब तक PSLV की 20 से अधिक सफल उड़ाने सम्पन्न हो चुकी है। " PSLV एक चार चर...

जुगुनू/Jugunu

भारत का प्रथम नैनो सैटेलाइट जुगुनू है। इसका निर्माण भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(IIT) कानपुर द्वारा किया गया। इसे इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से दिसम्बर,2009 में स्थ...

वर्षाऋतु/Rainy season/Varsha ritu

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वर्षा ऋतुओं की रानी है। संसार के बड़े-बड़े कवियों ने इस ऋतु की प्रशंसा की है तथा इसपर अच्छी-अच्छी कविताएं लिखी है। यह ऋतु संसार को जीवन देती है, प्यासों को पानी देती है और माँ की तरह मनुष्य का पालन -पोषण करती है।           गर्मी के बाद वर्षा आती है। इसके प्रभाव से प्रकृति लहलहा उठती है। चारो ओर हरियाली छा जाती है। पक्षी अपनी मधुर आवाज से वन,उपवन की शोभा बढ़ाते हैं। मोर मस्त होकर नाचने लगते हैं। सारी प्रकृति नया रूप धारण कर नए जीवन का स्वागत करती है। ऐसा लगता है किसी ने पूरी धरती पर हरी चादर बिछा दी हो। आकाश काले मेघों से भर जाता है,बादल गरजते हैं,बिजली चमकती है व बूंदों के रूप में बारिश होती है। गाँव के किसान खुशी से झूम उठते हैं।          वर्षाऋतु का जलरूपी वरदान पाकर सभी जीव आनंद का अनुभव करते हैं। वर्षा न हो तो चारो तरफ हाहाकार मच जाएगा। अन्न की उपज न होगी,जल उपलब्ध न हो सकेगा। इस प्रकार जीवों के अस्तित्व पर संकट आ जायेगा।            वर्षा कभी जीव...

जनांकिकीय लाभांश/demographic dividend

किसी देश की जनांकिकीय लाभांश का अर्थ यह होता है कि उस देश की कुल जनसंख्या में कार्यकारी जनसंख्या का भाग अधिक है। यह देह के विकास में अत्यंत सहायक होती है, क्योंकि 15 से 59 वर्ष क...

दीर्घायुता अथवा जीवन प्रत्याशा/Longevity or life expectancy/dirghayta or jivan pratyasha

दीर्घायुता अथवा जीवन प्रत्याशा वृद्ध जनसंख्या की स्थिति का सूचक है। यह मुख्यत: स्वास्थ्य दशाओं में सुधार से प्रभावित होती है। भारत एक जनांकिकीय संक्रमण से गुजर रहा है,ज...

पेट्रो रसायन/Petrochemicals

पेट्रो रसायन ऐसे रसायन और यौगिक हैं,जिन्हें मुख्यत: पेट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। इनका उपयोग कृत्रिम रेशा,प्लास्टिक, रबर ,रंग-रोगन,कीटनाशक ,डिटर्जेंट और औषधि निर्म...

पॉलिमर्स/Polymers

पॉलिमर्स का निर्माण एथलीन और प्रोपिलीन से होता है।ये कच्चे तेल की परिष्करण की प्रक्रिया के दौरान प्राप्त होते हैं।प्लास्टिक उद्योग में पॉलिमर्स को कच्चे माल के रूप में...

भूकम्पीय तरंगों के प्रकार/Types of seismic waves

भूकंप से तीन प्रकार की तरंगों का निर्माण होता है- 1. P तरंगें-(प्राथमिक या अनुदैर्ध्य या संपीडित तरंगें) P तरंगें ध्वनि की तरह ही फैलती है फलत: ये ठोस ,गैस व द्रव तीनों माध्यम से हो...

भूकंप/Bhukamp/Earthquake

भूकंप का सामान्य अर्थ पृथ्वी के कम्पन से है।यह कम्पन सामान्यत: भूगर्भ में ऊर्जा विमुक्ति के कारण होता है।भूकंप में कंपन होने से तरंगे उत्पन्न हुआ करती है जो अपने उद्गार क...

संविधान/constitution/sanvidhan

"संविधान किसी भी देश की सर्वोच्च मौलिक निधि होती है।" संविधान एक पुस्तक मात्र न होकर नीति नियमों, कानूनों,शक्तियों एवं उत्तदायित्वों का एकमात्र स्रोत होता है।यह विधायिक...

संवैधानिक विकास/constitutional development

"संविधान किसी राजनीतिक व्यवस्था के उस आधारभूत ढांचे का निर्धारण करता है,जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है।यह राज्य के लिए आवश्यक कार्यपालिका,न्यायपालिका एवं विधाय...

सुस्वागतम

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Hi फ्रेंड्स मैं सतीश कुमार झा आप सभी दोस्तों का अपने ब्लॉग में हार्दिक स्वागत करता हूँ।मै अपने ब्लॉग के माध्यम से आप सभी से विभिन्न विषयों पर रोचक एवं विश्वसनीय जानकारी साझा करूँगा।अंग्रेजी माध्यम में तो बहुत सारी सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध है लेकिन हिंदी माध्यम में अभी भी विश्वसनीय सामग्री की उपलब्धता का अभाव है।एक शिक्षक होने नाते मेरा मानना है कि अगर उपयुक्त सामग्री अपनी समझ की भाषा मे हो तो उसे ग्रहण व आत्मसात करना आसान होता है।