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Official syllabus for NEET UG 2025

The National Testing Agency (NTA) has released the official syllabus for NEET UG 2025, as finalized by the Undergraduate Medical Education Board (UGMEB) under the National Medical Commission (NMC). The NEET UG 2025 syllabus encompasses topics from Physics, Chemistry, and Biology, aligning with the NCERT curriculum for classes 11 and 12. It's essential for aspirants to familiarize themselves with the detailed subject-wise syllabus to prepare effectively. Physics: Class 11 Topics: Physical world and measurement Kinematics Laws of Motion Work, Energy, and Power Motion of System of Particles and Rigid Body Gravitation Properties of Bulk Matter Thermodynamics Behavior of Perfect Gas and Kinetic Theory Oscillations and Waves Class 12 Topics: Electrostatics Current Electricity Magnetic Effects of Current and Magnetism Electromagnetic Induction and Alternating Currents Electromagnetic Waves Optics Dual Nature of Matter and Radiation Atoms and Nuclei Electronic Devices ...

स्वास्थ्य जागरूकता: एक स्वस्थ जीवन की ओर कदम

  स्वास्थ्य जागरूकता: एक स्वस्थ जीवन की ओर कदम स्वस्थ जीवन एक उपहार है, जिसे हम अपनी आदतों और जागरूकता से संवार सकते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे कई बीमारियाँ जन्म ले सकती हैं। सही जानकारी और जागरूकता से हम एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं। स्वास्थ्य का महत्व स्वस्थ शरीर और मन न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे सामाजिक और व्यावसायिक जीवन को भी बेहतर बनाते हैं। जब हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं, तो हमारी उत्पादकता बढ़ती है और हम जीवन के हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं। स्वास्थ्य को बनाए रखने के उपाय संतुलित आहार लें – पोषण से भरपूर भोजन करें और जंक फूड से बचें। हरी सब्जियाँ, फल, और प्रोटीन युक्त आहार को प्राथमिकता दें। नियमित व्यायाम करें – रोजाना कम से कम 30 मिनट योग, वॉकिंग, या किसी भी प्रकार का व्यायाम करें। पर्याप्त नींद लें – अच्छी सेहत के लिए कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है। तनाव को कम करें – ध्यान और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें ताकि...

सकारात्मक जीवन दर्शन: हर परिस्थिति में उम्मीद की किरण

जीवन एक बहती नदी की तरह है, जिसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कई बार हम चुनौतियों से घिर जाते हैं और नकारात्मकता हमें घेरने लगती है। लेकिन यदि हम सकारात्मक सोच को अपनाएँ, तो हम किसी भी कठिनाई को अवसर में बदल सकते हैं। सकारात्मक जीवन दर्शन हमें यही सिखाता है कि हर परिस्थिति में उम्मीद की किरण देखी जा सकती है। सकारात्मक सोच का महत्व सकारात्मक सोच सिर्फ एक मानसिक अवस्था नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की दिशा तय करने वाली ताकत बन सकती है। जब हम अपने विचारों को सकारात्मक रखते हैं, तो न केवल हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि हमारी कार्यक्षमता भी बेहतर होती है। कैसे अपनाएँ सकारात्मक दृष्टिकोण? आभार प्रकट करें – हर दिन उन चीजों के लिए आभार व्यक्त करें जो आपके पास हैं। यह आदत आपको जीवन के प्रति कृतज्ञ बनाएगी। चुनौतियों को अवसर समझें – मुश्किलें हमें सीखने और निखरने का मौका देती हैं। हर समस्या में छुपे अवसर को पहचानने की आदत डालें। सकारात्मक संगति बनाएँ – ऐसे लोगों के साथ रहें जो आपको प्रेरित करें और जीवन में आगे बढ़ने की ऊर्जा दें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें – शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प...

class-10

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class-8 math identity sarvsammika introduction

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ब्रह्मांड/मंदाकिनी/निहारिका/डार्क मैटर/डॉप्लर विस्थापन/सुपरनोवा/क्यूपर बेल्ट/Universe / Mandakini / Nebula / Dark Matter / Doppler Displacement / Supernova / Cooper Belt

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ब्रह्मांड जो आकाश हमे दिखाई देता है वास्तव में वह काला, अनंत अंतरिक्ष है । ब्रह्मांड जिसमे आकाशीय धूल-कण, उल्कापिंड, ग्रह-उपग्रह, तारें, मंदाकिनियाँ आदि शामिल है । इस अनंत अंतरिक्ष मे जो तारें दिखाई देतें हैं, वे ऊर्जा को मुक्त कर रहे होते हैं तथा उनसे प्रकाश का उत्सर्जन हो रहा होता है ,साथ-ही-साथ उन प्रकाश के अपवर्तन के कारण आकाशीय पिंड भी दिखाई देते है। मंदाकिनी यह तारों, धूल-कणों और गैसों का विशाल पुंज होता है । अनुमानत:आकाशगंगा या मंदाकिनी में10का घात11 तारें होते है । हमारा सौरमंडल ऐरावत पथ का एक भाग है, जो सर्पिल संरचना है। निहारिका यह अत्यंत प्रकाशमान आकाशीय पिंड है , जो धूल एवं धूलकणों से मिलकर बना हुआ है।  निहारिका को सौरमंडल का जनक माना  जाता है । इसके ध्वस्त होने व क्रोड बनने की शुरुआत लगभग 5 से 5.6 अरब वर्षो पहले हुई।  ग्रह लगभग 4.6 से 4.56 वर्ष पहले बने। डार्क मैटर क्या समूचे ब्रह्मांड का पदार्थ घनत्व केवल मंदाकिनियों, तारों और ग्रहों आदि के द्रव्यमान  से निर्धारित होता है? वैज्ञानिक इसका जवाब नही में देते हैं । उनका मान...

प्लास्टिक/Plastic/Types of Plastics

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प्लास्टिक उच्च अणुभार वाले बहुलक होते है। बहुत से असंतृप्त हाइड्रोकार्बन ; जैसे -एथिलीन, प्रोपिलीन आदि बहुलीकरण की क्रिया के पश्चात जो उच्च बहुलक बनाते हैं, उसे प्लास्टिक कहा जाता है।   प्लास्टिकों के प्रकार ⇉प्लास्टिक दो प्रकार होते हैं- प्राकृतिक प्लास्टिक एवं कृत्रिम प्लास्टिक। प्राकृतिक प्लास्टिक गर्म करने पर मुलायम तथा ठंडा करने पर कठोर हो जाता है। उदाहरण-टेफ्लॉन कृत्रिम प्लास्टिक रासायनिक विधि से तैयार की जाती है। उदाहरण- पॉलिथीन, PVC, टेफ्लॉन, बेकेलाइट आदि। प्लास्टिकों को उनकी ताप सहने की क्षमता के अनुसार दो भागों में बाँटा जा सकता है- तापसुनम्य या थर्मोप्लास्टिक- ये गर्म करने पर पिघल जाती हैं तथा ठंडा करने पर फिर से ठोस अवस्था ग्रहण कर लेती है । इनमें श्रृंखलाओं के मध्य कोई तिर्यक बंध नही होता है । अतः ये दृढ़ नही होते हैं जिन्हें पिघलाकर विभिन्न साँचे में डालकर मनपसंद आकार में ढाल जा सकता है। उदाहरण- पॉलिथीन, पॉलीस्टाईरीन, PVC आदि। तापदृढ़ या थर्मोसेटिंग प्लास्टिक- इस प्रकार की प्लास्टिक गर्म करने पर मुलायम हो जाती है, परंतु ताप बढ़ने पर ठोस, कठोर ...

गॉड पार्टिकल/हिग्स बोसॉन/God particle

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गॉड पार्टिकल परमाणु से भी छोटा अति सूक्ष्म कण है जिसे ब्रह्मांड के निर्माण का मूल कारण माना गया है। इस कण की परिकल्पना सर्वप्रथम 1964 में पीटर हिग्स ने की थी एवं भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस ने भी इससे संबंधित विचार दिया था इसलिये इसे हिग्स बोसॉन भी कहा जाता है। ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए सन 2012 में यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) ने जेनेवा में पृथ्वी की सतह से 100 फ़ीट नीचे और 27 KM लंबी सुरंग में लार्ज हैड्रन कोलाइडर(LHC) नामक महाप्रयोग किया। इसमे 100 से अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया। वस्तुत:वैज्ञानिक 15 अरब वर्ष पहले सम्पन्न ब्रह्मांडीय घटना को प्रयोगशाला में करना चाहते हैं, जिसे विज्ञान की दुनिया मे बिग बैंग के नाम से जाना जाता है ऐसा माना जाता है कि गॉड पार्टिकल के नाम से जाना जाने वाला हिग्स बोसॉन में ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य छिपे हैं, क्योंकि हिग्स बोसॉन को बेसिक यूनिट माना जाता है, इसे डार्क मैटर भी कहते हैं। हिग्स बोसॉन कण या ईश्वरीय कण एक काल्पनिक मूल कण है । यह कण भौतिकी के मानक मॉडल द्वारा लाया गया है । इसे द्रव्यमान या भार के लिए ज...

चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse)/Chandragrahan

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जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, तो उसे चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) कहते हैं। चंद्रग्रहण आंशिक या पूर्ण हो सकता है। पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाता है, जबकि आंशिक चंद्रग्रहण की स्थिति में चंद्रमा का एक भाग ही पृथ्वी की छाया के अधीन आता है। पूर्ण चंद्रग्रहण लगभग 1घंटे 40 मिनट का होता है। यह स्थिति तब बनती है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी होती है और तीनों एक ही रेखा में होते हैं। इस स्थिति को सिजगी कहते हैं। यह स्थिति केवल पूर्णिमा को ही बनती है। अत: चंद्रग्रहण पूर्णिमा को ही होता है, किन्तु सभी पूर्णिमा को नही, इसका कारण पृथ्वी के सापेक्ष चंद्रमा का 5° झुकाव है। When the shadow of the earth falls on the moon, then Lunar Eclipse is called. Lunar eclipse may be partial or complete. The complete lunar eclipse occurs when the moon is completely covered by the shadow of the earth, whereas in the case of partial lunar eclipse a part of the moon falls under the shadow of the earth. The complete lunar eclipse is approximately 1 hour ...

सूर्यग्रहण(Solar Eclipse),surya grahan

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जब सूर्य व पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है, तो पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है वहाँ सूर्यग्रहण(Solar Eclipse) होता हैं। सूर्यग्रहण पूर्ण या आंशिक हो सकता है।पूर्ण सूर्यग्रहण में सूर्य का कोरोना भाग दिखाई देता है। यहाँ उल्लेखनीय है कि चन्द्रमा पश्चिम दिशा से सूर्य को ढकना आरम्भ करता है और आकाश में नीला-काला दिखाई देता है। वर्ष में न्यूनतम 2 तथा अधिकतम 5 सूर्यग्रहण हो सकते हैं। अंधकारमय काल अवधि अधिकतम 7 मिनट 40 सेकेंड हो सकती है। औसतन यह अवधि 2.5 मिनट होती है। सूर्यग्रहण को कभी भी नग्न आँखों से नही देखना चाहिए, क्योंकि सूर्यग्रहण के समय कोरोना के विकिरण (पराबैंगनी किरणों) से भी आँखें चले जाने का खतरा रहता है। When the moon approaches between the Sun and the Earth, in the areas of the Earth, where the Moon covers the Sun, there is a Solar Eclipse. The solar eclipse can be full or partial. In the complete solar eclipse, the corona part of the sun appears. It is noteworthy here that the moon starts to cover the sun from the west direction and the sky appears...